हम कर्त्ता क्यों बन जाते हैं?

यह दुर्भाग्य का परिचय है। जीव तो ईश्वर नहीं है, जो वह कर्त्ता होगा? कर्त्ता एकमात्र श्रीकृष्ण हैं । हम सभी उन श्रीकृष्ण के नित्य सेवक हैं । किन्तु हम यह बात भूलकर गृह के कर्त्ता, मोहल्ले के स्वामी, ग्राम के नेता, देश के प्रभु अथवा जगत के ईश्वर होना चाहते हैं, ऐसा हमारा दुर्दैव है।

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